इंटरनेट पर US का कंट्रोल खत्म कर बने मल्टिलैटरल मॉडल
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इंटरनेट पर US का कंट्रोल खत्म कर बने मल्टिलैटरल मॉडल
राजनीति, इकॉनमी, एनर्जी और स्ट्रैटिजिक सिक्यॉरिटी से जुड़े भारत के मुद्दों पर नजर रखने वाली शीर्ष एजेंसी ने आगाह किया है कि इंटरनेट पर अमेरिकी सरकार और उसकी एजेंसियों का नियंत्रण है और वे ही इसे मैनेज कर रहे हैं। भारतीय एजेंसी ने मांग की है कि इंटरनेट गवर्नेंस से जुड़े सभी मामलों के समाधान के लिए एक मल्टिलैटरल मॉडल बनाया जाए।
नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रटरिएट (NSCS) ने एक गोपनीय नोट में दावा किया है कि डोमेन नेम सिस्टम यानी DNS को मैनेज करने का अहम काम नैशनल टेलिकॉम ऐंड इन्फर्मेशन ऐडमिनिस्ट्रेशन के पास है, जो अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट की यूनिट है। यह यूनिट ओबामा प्रशासन को टेलिकॉम और इन्फर्मेशन पॉलिसी के सभी मामलों में सलाह देती है।
DNS एक इंटरनेट फोन बुक के समान है, जो कंप्यूटर होस्टनेम्स को न्यूमेरिकल इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) अड्रेसेज में बदल देता है।
NSCS विदेश मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी से सलाह-मशविरा कर रहा है। वह चाहता है कि भारत से ऑरिजिनेट होने वाले सभी डोमेन नेम्स से जुड़ा डेटा भारत में ही स्टोर हो। सिक्योरिटी एजेंसी यह भी चाहती है कि DNS मैनेजमेंट की निगरानी एक बोर्ड करे, जिसमें भारत सहित कई सरकारों की ओर से टेक्निकल एक्सपर्ट्स हों।
ग्लोबल साइबर सिक्यॉरिटी से जुड़ी एक सब-कमिटी ने हाल में NSCS के सेक्रटरी और डेप्युटी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर नेहचल संधू की अध्यक्षता में इस मामले पर चर्चा की थी। बैठक में तय किया गया था कि भारत को इंटरनेट गवर्नेंस के मल्टिलैटरल मॉडल की वकालत करनी चाहिए, जिसमें डिसिज़न मेकिंग में सरकारों का प्रतिनिधित्व तो हो, लेकिन अपना रुख तय करते वक्त नैशनल लेवल पर संबंधित पक्षों से बातचीत करने का विकल्प हो।
NSCS की मीटिंग में भाग लेने वाले विदेश मंत्रालय ने भी चेतावनी दी है कि अमेरिका, रूस और चीन अपनी सहूलियत के मुताबिक इंटरनेट गवर्नेंस अरेंजमेंट करने वाले हैं और इसे वे भारत के सिर पर डाल सकते हैं।
विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन ने NSCS की मीटिंग में कहा कि हमें ऐसी किसी भी स्थिति से बचना चाहिए और इंटरनेट गवर्नेंस पर जो भी इंटरनैशनल सिस्टम बने, उसमें भारत की चिंताओं को शामिल कराया जाना चाहिए। इस बैठक के ब्योरे की कॉपी इकनॉमिक टाइम्स ने देखी है।
विदेश मंत्रालय ने यह संकेत भी दिया है कि इंटरनेट गवर्नेंस के ग्लोबलाइजेशन से इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइंड नेम्स ऐंड नंबर्स (ICANN) के कार्यालय भौगोलिक आधार पर कई जगहों पर नहीं खुलने वाले हैं क्योंकि ICANN ने ओबामा प्रशासन से वादा किया है कि वह अमेरिका से बाहर नहीं जाएगा। ICANN एक इंडिपेंडेंट बॉडी है, जिस पर इंटरनेट को ऑर्गनाइज करने का जिम्मा है।
NSCS ने अपने नोट में कहा है कि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स से किए गए वादे के तहत ICANN ने कहा है कि वह अमेरिकी सरकार की मंजूरी के बिना अमेरिका से बाहर ऑफिस नहीं खोलेगा। उसने यह आश्वासन भी दिया था कि इंटरनेट का मैनेजमेंट प्राइवेट सेक्टर के हाथों में ही बना रहेगा।
नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रटरिएट (NSCS) ने एक गोपनीय नोट में दावा किया है कि डोमेन नेम सिस्टम यानी DNS को मैनेज करने का अहम काम नैशनल टेलिकॉम ऐंड इन्फर्मेशन ऐडमिनिस्ट्रेशन के पास है, जो अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट की यूनिट है। यह यूनिट ओबामा प्रशासन को टेलिकॉम और इन्फर्मेशन पॉलिसी के सभी मामलों में सलाह देती है।
DNS एक इंटरनेट फोन बुक के समान है, जो कंप्यूटर होस्टनेम्स को न्यूमेरिकल इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) अड्रेसेज में बदल देता है।
NSCS विदेश मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी से सलाह-मशविरा कर रहा है। वह चाहता है कि भारत से ऑरिजिनेट होने वाले सभी डोमेन नेम्स से जुड़ा डेटा भारत में ही स्टोर हो। सिक्योरिटी एजेंसी यह भी चाहती है कि DNS मैनेजमेंट की निगरानी एक बोर्ड करे, जिसमें भारत सहित कई सरकारों की ओर से टेक्निकल एक्सपर्ट्स हों।
ग्लोबल साइबर सिक्यॉरिटी से जुड़ी एक सब-कमिटी ने हाल में NSCS के सेक्रटरी और डेप्युटी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर नेहचल संधू की अध्यक्षता में इस मामले पर चर्चा की थी। बैठक में तय किया गया था कि भारत को इंटरनेट गवर्नेंस के मल्टिलैटरल मॉडल की वकालत करनी चाहिए, जिसमें डिसिज़न मेकिंग में सरकारों का प्रतिनिधित्व तो हो, लेकिन अपना रुख तय करते वक्त नैशनल लेवल पर संबंधित पक्षों से बातचीत करने का विकल्प हो।
NSCS की मीटिंग में भाग लेने वाले विदेश मंत्रालय ने भी चेतावनी दी है कि अमेरिका, रूस और चीन अपनी सहूलियत के मुताबिक इंटरनेट गवर्नेंस अरेंजमेंट करने वाले हैं और इसे वे भारत के सिर पर डाल सकते हैं।
विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन ने NSCS की मीटिंग में कहा कि हमें ऐसी किसी भी स्थिति से बचना चाहिए और इंटरनेट गवर्नेंस पर जो भी इंटरनैशनल सिस्टम बने, उसमें भारत की चिंताओं को शामिल कराया जाना चाहिए। इस बैठक के ब्योरे की कॉपी इकनॉमिक टाइम्स ने देखी है।
विदेश मंत्रालय ने यह संकेत भी दिया है कि इंटरनेट गवर्नेंस के ग्लोबलाइजेशन से इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइंड नेम्स ऐंड नंबर्स (ICANN) के कार्यालय भौगोलिक आधार पर कई जगहों पर नहीं खुलने वाले हैं क्योंकि ICANN ने ओबामा प्रशासन से वादा किया है कि वह अमेरिका से बाहर नहीं जाएगा। ICANN एक इंडिपेंडेंट बॉडी है, जिस पर इंटरनेट को ऑर्गनाइज करने का जिम्मा है।
NSCS ने अपने नोट में कहा है कि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स से किए गए वादे के तहत ICANN ने कहा है कि वह अमेरिकी सरकार की मंजूरी के बिना अमेरिका से बाहर ऑफिस नहीं खोलेगा। उसने यह आश्वासन भी दिया था कि इंटरनेट का मैनेजमेंट प्राइवेट सेक्टर के हाथों में ही बना रहेगा।
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